गदिमा नवनित
  • दगडाच्या देवा दह्याच्या घागरी,अस्पृश्याच्या घरी पाणी नाही.
    पाळीव पोपट गोड फळे त्याला आणि गरिबांना कदांन्न का?
मराठी युनिकोड फॉन्ट
गदिमांची मराठी गाणी MP3 | Marathi Songs Of GaDiMa In Mp3
  • गदिमांनी वयाच्या १६-१७ वर्षीं मराठी चित्रपट सृष्टीत प्रवेश केला आणि बघता बघता माडगूळकर या नावाने मराठी चित्रपटसृष्टीत अनभिषक्त सम्राटपद निर्माण केले.मराठी चित्रपटात कथाकार, पटकथाकार, संवादलेखक, गीतकार, अभिनेता, निर्माता अश्या सर्व क्षेत्रात वावर केला.

    मराठी चित्रपटांसाठी त्यांनी १५७ पटकथा तर २००० पेक्षा जास्त मराठी गाणी लिहिली.त्यांच्या MP3 मराठी गाण्यांचा आस्वाद आता गदिमा वेबसाईटवरुन आपण घेऊ शकता.

    This Website Contains Marathi Songs Written By Legendary Marathi Author G.D.Madgulkar In MP3 Format,His Pen Contributed To As Many As 157 Marathi And 25 Hindi Films And More Than 2000 Marathi Songs!.Songs Are Distributed In Various Categories Like Children Songs (Balgeete),Patriotic Songs (Deshbhaktipar Geete),Devotional Songs (Bhakti Geete),Emotion Poetry Songs (BhavGeete),Traditional Dance Songs (Lavanya) And Original Marathi Film Songs.
  • Box-C-2
  • रहे पति से दूर न कांता
    Rahe Pati Se Door Na Kanta

  • गीतकार: ग.दि.माडगूलकर (रूपांतर:दत्तप्रसाद जोग (गोवा))      Lyricist: Ga.Di.Madgulkar (Translation:Dattaprasad Jog(Goa))
  • संगीतकार: सुधीर फडके      Music Composer: Sudhir Phadke
  • गायक: चिन्मय कोल्हटकर      Singer: Chinmay Kolhatkar
  • अल्बम: गीतरामायण (हिंदी)      Album: GeetRamayan (Hindi)
  • आभार: दत्तप्रसाद जोग (गोवा)     





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        (हा प्लेअर मोबाईल वर पण चालतो)

  • रहे पति से दूर न कांता राघव की परछाई सीता..

    जिस पथ राघव चरण शुभंकर
    सीता सम्मुख उसी मार्ग पर
    ना कानन भय मन में तिल भर, संग रघुनंदन भाग्य विधाता....

    मिले पति का यदि सहजीवन
    राज गेह से प्रसन्न कानन
    मात्र शिला भी हो सिंहासन यदि बिराजे रघुकुल त्राता !!

    वन्य पशु या क्रूर निशाचर
    भय न सताये उनका पल भर
    पीछे- सम्मुख उभय धनुर्धर, करूँ न मैं निष्कारण चिंता!!

    इन चरणों के लिए बनी हूँ
    इक्ष्वाकु कुल सुवासिनी हूँ
    इन चरणों के सेवा कारण पाल रही थी धरती माता!!

    राज भोग का शून्य प्रयोजन
    वियोगिनी क्यूँ रहूँ अकारण
    क्यूँ देवर का सहूँ सिंहासन, निष्कारण ही दास्य,विवशता!!

    फिर दोहराओ ना वर तीसरा
    राम हृदय ना बने मंथरा
    करें न मेरा भाग्य अधमरा तजो न रघुनंदन निजकांता!!

    प्रभु शैशव के उसी काल में
    विजनवास था ज्ञात भाल मे
    मानव जीवन दैव जाल में सौख्य यदि दुख में हो ममता!!

    भुलें राघव ना कि सीता
    शतजन्मों का अपना नाता
    सदा वचन में रहुँ सर्वथा करुँ शपथ की सार्थ पूर्णता!!

    पति ही छाया पति ही भूषण
    पति चरणों का अखंड पूजन .
    है आर्यों का नारी जीवन, झूठ न समूची जगन्मान्यता!!

    मूक रहें ना राघव ऐसे
    सुने याचना विशाल मन से
    भूल हुई हो यदि कहीं से, क्षमा करो हे रघुकुलत्राता!!!